प्रसन्नता या ख़ुशी का सेहत पर क्या असर पड़ता है ?

खुशी का स्तर स्वास्थ्य के स्तर को प्रभावित करता है और स्वास्थ्य खुशियों के स्तर को। दोनों एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। खुशी का स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो लोग आमतौर पर खुश रहते हैं, वे अक्सर हृदय रोग, अल्सर, आंत्र विकार, दमे  के दौरों, मानसिक बीमारियों और कई अन्य प्रतिरक्षा संबंधी विकारों से कम ग्रस्त होते हैं। अवसाद, चिंता और तनाव खराब स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। ये नकारात्मक स्थिति, यदि लगातार बनी रहे, तो शरीर की इम्युनिटी को कम कर सकती है और शरीर में सूजन (inflammation ) को बढ़ा सकती है, जिससे बीमारियाँ बढ़ सकती है।  

हाल ही में, अनुसंधान में यह साबित हुआ है, कि खुशी और अच्छा स्वास्थ्य साथ साथ चलते हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि खुशी हमारे दिल को स्वस्थ बना सकती है, हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system ) मजबूत करती है, और हमारा जीवन लंबा होता है।

प्रसन्नता कैसे हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है

1. प्रसन्नता हमारे दिल की रक्षा करती है

खुशी हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छी है। 2005 के एक अनुसन्धान में पाया गया की प्रसन्नता हृदय गति को नियंत्रित और बढ़ते रक्तचाप को कम कर सकती है।अनुसंधान ने खुशी और हृदय स्वास्थ्य के बीच लिंक को भी उजागर किया है। 

समय के साथ, ये प्रभाव हृदय स्वास्थ्य में गंभीर अंतर ला सकते हैं। एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने लगभग 2000 लोगों को प्रयोगशाला में बुलाया ताकि वे अपने गुस्से और काम के तनाव के बारे में बात कर सकें। प्रेक्षकों ने उन्हें एक से पांच के पैमाने पर मूल्यांकन किया, जिस स्तर पर उन्होंने खुशी, उत्साह और संतोष जैसी सकारात्मक भावनाओं को व्यक्त किया। दस साल बाद, शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की यह देखने के लिए जाँच की कि वे कैसे हैं, और यह पता चला कि खुश रहने वालों में कोरोनरी हृदय रोग विकसित होने की संभावना कम थी। उनके द्वारा व्यक्त की गई सकारात्मक भावनाओं के कारण उनमे हृदय रोग का जोखिम कम पाया गया था। 

2. प्रसन्नता हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system ) को मजबूत करती है

क्या आपने अपने आस पास किसी क्रोधी या परेशान व्यक्ति पर गौर किया है, जो अक्सर बीमार पड़ता रहता है? यह कोई संयोग नहीं हो सकता है। रिसर्च में खुशी और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच कड़ी मिली है।

शोधकर्ता यह जांचना चाहते थे कि खुश रहने वाले लोगों को बीमारी की आशंका कम क्यों हो सकती है, इसलिए एक अध्ययन में उन्होंने कुछ छात्रों को हेपेटाइटिस बी का टीका दिया। पहले दो खुराक प्राप्त करने के बाद, छात्रों ने स्वयं को सकारात्मक भावनाओं पर खुद को रेट किया। जिनमे सकारात्मक भावना अधिक थी, उनमे वैक्सीन के लिए  प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया (antibody response ) होने की संभावना लगभग दोगुनी थी। 

3.प्रसन्नता तनाव का विरोध करती है

तनाव न केवल मनोवैज्ञानिक स्तर पर परेशान करता है, बल्कि हमारे रक्तचाप और हार्मोन में जैविक परिवर्तनों को भी बढ़ाता है। प्रसन्नता इन प्रभावों को कम करने में मदद करती है। खुश रहने वाले लोगों में तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर कम होता है।

जो लोग हमेशा खुश रहते हैं, उनमे जब तनाव होने पर रक्तचाप और हृदय गति तेज़ हो जाती है ,वो बहुत जल्दी ठीक हो जाती है।

4. खुश लोगों में दर्द की समस्या कम होती है

अध्ययन से पता चलता है कि सकारात्मक भावना भी बीमारी के संदर्भ में दर्द को कम करती है। एक रिसर्च में गठिया और पुरानी दर्द से पीड़ित महिलाओं ने तीन महीनों के लिए रुचि, उत्साह और प्रेरणा जैसी सकारात्मक भावनाओं का दर्द पर साप्ताहिक मूल्यांकन किया। अध्ययन के दौरान, सकारात्मक भावना में उच्च रेटिंग वाली महिलाओं में दर्द में वृद्धि का अनुभव कम था।

5. खुशी बीमारी को हरा सकती है

प्रसन्नता न केवल अल्पकालिक दर्द के साथ जुडी है, बल्कि बीमारी की गंभीर और दीर्घकालिक स्थितियों के साथ भी जुडी है। आशावादी और खुश लोग गंभीर बीमारी से भी जल्दी उभर जाते हैं।

अध्ययन यह साबित करते हैं, की जो लोग जीवन में अधिक या ज्यादा समय खुश और संतुष्ट रहते हैं, वे बीमारियों की चपेट में कम आते हैं। खुशी और आशावाद बीमारी के खिलाफ सुरक्षात्मक कवच की तरह हो सकता है। 

जैसे-जैसे वयस्क वृद्ध होते जाते हैं, स्थिति जो उन्हें अक्सर प्रभावित करती है वह है, कमजोरी और ताकत की कमी लेकिन जो लोग उम्र बढ़ने के साथ साथ आत्मसम्मान, आशा, खुशी और आनंद जैसी अधिक सकारात्मक भावना रखते हैं या जो खुशहाल रहते हैं, वे स्वस्थ्य महसूस करते हैं।

6. खुशी हमारे जीवन-काल को लंबा करती है। 

खुशी हमारे जीवन को लंबा कर सकती है, 2005 का मेटा-विश्लेषण, स्वास्थ्य और खुशी पर हुए अध्ययनों के परिणामों को एकत्र करता है, यह अनुमान है कि सकारात्मक भावना का अनुभव करना लंबे समय तक बीमारियों से बचाने में सहायक होता है। लेखकों ने अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि सकारात्मक भावनाएं मधुमेह और एड्स वाले लोगों में मृत्यु के जोखिम को कम करती हैं। यह इस तथ्य के कारण हो सकता है कि खुश लोग अपने लक्षणों को कम कर सकते हैं।अध्ययनकर्ताओं का मानना है, की प्रसन्नता जीवन काल को पांच से सात साल तक लंबा कर सकती है। 

खुशी मन की एक अवस्था है। यह “कल्याण और संतोष” की स्थिति है यह आनंद की स्थिति है। बहुत से लोग यह नहीं जानते की खुश रहने का अभ्यास किया जा सकता है। कुछ लोग, जब वे ‘खुशी’ शब्द सुनते हैं, तो वह समझते हैं कि यह क्षणिक खुशी की भावना की बात कर रहे है। 

यहाँ प्रसन्नता का मतलब आनंद है, जो हमेशा बना रहता है। खुशी का अनुभव करने का अर्थ ,अल्पकालिक भावनाओं से नहीं है, जीने की गुणवत्ता से है, जो की एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण है।

जीवन की संतुष्टि का दीर्घकालिक अनुभव निश्चित रूप से खुशी और आनंद की कई अल्पकालिक भावनाओं से बना है। हमें हर दिन खुश रहने के लिए कदम उठाना है।

 खुश कैसे रहा जाए आइये कुछ सुझावों पर रोशनी डालते हैं।  

1. मुस्कुराइए

मुस्कुराने से हम खुशी महसूस करते हैं। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि मुस्कान दिल से होनी चाहिए। यदि आप इसे नकली बनाते हैं, तो इसका लाभ नहीं मिलता है।

एक अध्ययन में बस ड्राइवरों के एक समूह की जांच की। जिसमे पाया गया कि नौकरी के लिए नकली मुस्कान रखने वाले कर्मचारी दिन के अंत तक खराब मूड में ही होते थे। लेकिन सकारात्मक विचारों के साथ मुस्कुराने वाले ड्राइवर वास्तव में दिन के अंत तक बेहतर मूड में होते थे। इसलिए दिल से मुस्कुराइए।  

2. क्षमा करना सीखिए 

अन्याय से परेशान होना आम बात है, लेकिन उस भावना को लंबे समय तक बनाए रखना गलत है। इन भावनाओं से जुड़ी नकारात्मक भावनाएं अक्सर नाराजगी और बदले के विचारों को जन्म देती हैं। जो हमारी मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डालती हैं। लंबे जीवन, स्वास्थ्य और खुश रहने के लिए क्षमा जैसे सरल कार्य को सीखिए।

3. तुलना ना करें 

अपने वित्त, प्रतिभा, घर के आकार, शरीर इत्यादि की किसी से तुलना ना करें। तुलना से कुछ हासिल नहीं होता है। जो आपके पास है, उसके लिए आभारी रहें, जो आप हैं, उसकी सराहना करें, अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने के लिए कड़ी मेहनत करें और दूसरों से अपनी तुलना करना छोड़ दें।

4. व्यवहार में कृतज्ञता और उदारता लाने का अभ्यास करें

कृतज्ञता और उदारता दोनों ही ख़ुशी पाने का आधार है। दोनों को प्रतिक्रिया के बजाय अनुशासन के रूप में अपनाएं। अनुशासन का हम अपनी परिस्थितियों की परवाह किए बिना अभ्यास करते हैं। यदि हम उदार बनने के लिए पर्याप्त धन की प्रतीक्षा करते रहेंगे , तो हम वहां कभी नहीं पहुंचेंगे। इसी तरह, यदि हम आभारी होने के लिए सही वक्त  का इंतजार करते रहेंगे, तो हम कभी भी इसका अनुभव नहीं कर पाएंगे। आज ही शुक्रगुजार होना चुनें।इन दोनों को अपने जीवन में एक अनुशासन बनाने से खुशी प्राप्त होगी।

5. अच्छी आदतें अपनाएं 

प्रसन्नता इस बात पर भी निर्भर करती है की हम अपना जीवन कैसे बिताते हैं। इसलिए स्वस्थ आदतों को अपनाएं जो आपके जीवनकाल में मूल्य जोड़ दें। पौष्टिक भोजन खाएं, नियमित रूप से व्यायाम करें, नशे इत्यादि से दूर रहें, मेहनत करें, मैडिटेशन करें, पर्याप्त नींद लें आदि। 

6. कुछ रचनात्मक करें  

रचनात्मकता बेहतर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के बीच की कड़ी है। रचनात्मक कार्य हमें खुश करने में मदद करता है, तनाव कम करने,  समस्या को हल करने के लिए बेहतर है।

अपने व्यवहार में यह छोटे छोटे परिवर्तन लाकर हम खुश रह सकते हैं। ख़ुशी पाने के लिए धन की नहीं संतुष्टि की आवश्यकता होती है। इसलिए खुश रहिये स्वस्थ्य रहिये क्यूंकि इन दोनों का गहरा सम्बन्ध है, दोनों साथ-साथ चलते हैं। 

Recommended For You

About the Author: Kusum Kaushal

कुसुम कौशल ने उत्तराखंड में स्थित विश्वविद्यालय (हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी) से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हिंदी उनकी मूल भाषा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
Table of Content