नकारात्मक विचारों से कैसे बचें ?

नकारात्मक विचारों से कैसे बचें

नकारात्मकता क्या है ?

क्या आप किसी भी चीज़ के बारे में अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं, थका-थका सा महसूस कर रहे हैं ? हमारे जीवन में दिन-प्रतिदिन होने वाली विभिन्न घटनाओं और स्थितियों के कारण, हमें नकारात्मक विचार आने शुरू हो जाते हैं। ये भय, क्रोध, निराशावाद से भरे होते हैं। इसे सामान्यतः नकारात्मकता कहा जाता है।

बहुत से लोग अक्सर – भविष्य की चिंता में, अतीत की घटनाओं को याद करने, और आमतौर पर जीवन में बिताये बुरे वक्त पर ध्यान केंद्रित करके समय बिताते हैं। यह नकारात्मक या अवांछित विचार चिंता और उदासी का कारण बनते हैं और हमारी ऊर्जा को कम करते हैं। 

हमारे आस पास के वातावरण में जो कुछ भी हो रहा है ( नकारात्मक और सकारात्मक ), वह भी हमारी मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। जो कुछ भी हो रहा है, उसे नियंत्रित करना हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन अपने मस्तिष्क को इस बात के लिए तैयार करना की वह नकारात्मकता से कैसे निपटे, यह पूरी तरह से हमारे हाथों में है। निरंतर अभ्यास से नकारात्मक सोच पैटर्न को उन विचारों से बदला जा सकता है, जो सुख और ख़ुशी देते हैं।

नकारात्मक सोच को रोकने के कुछ सबसे प्रभावी तरीके

1. विचारों को रोकना

किसी भी घटना से पहले बहुत अधिक ना सोचें ज्यादा सोचने से नकारात्मक विचार उत्पन्न हो सकते हैं, खासकर यदि आप उस बारे में आशंकित हों। स्थिति को आने दें और पहले से चीजों के बारे में धारणा ना बनायें। नकारात्मक स्थिति की कल्पना ना करें।

जब आपको लगे कि नकारात्मक विचार आपके दिमाग में प्रवेश करने लगे हैं, तो उन्हें रोकने का प्रयास करें। यदि आप अकेले हैं, तो आप इसे ज़ोर से बोलकर रोकने का प्रयास कर सकते हैं।

नेगेटिव विचारों को रोकने के लिए अपनी सोच की दिशा बदलें। आप 100 से 1 तक उलटी गिनती गिनना शुरू कर सकते हैं।

2. गहरी सांस ले 

जब कोई बुरा विचार अचानक आपके मस्तिष्क में आ जाता है, तो चिंता या घबराहट होना स्वाभाविक है, लेकिन विचार को लंबे समय तक ना बने रहने दें और उसे रोकें। रोकने के लिए 30 सेकंड तक पाँच गहरी और लंबी साँसें लें।

3. सकारात्मक वाक्य दोहराएं ( Positive Affirmations )

पॉजिटिव एफर्मेशन्स का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। इन्हे उसी तकनीक से अपना सकते है, जैसा कि नेगेटिव विचारों को रोकने के लिए अपनाया जाता है। दूसरे शब्दों में, जैसे ही आपको लगता है, कि एक नकारात्मक विचार आपके दिमाग में आ रहा है, आप एक पॉजिटिव बात दोहराएं जैसे की “मैं यह कर सकता हूँ ” या “मैं मजबूत (strong )हूँ ” इत्यादि।

जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे पास चेतन और अवचेतन मन है। अवचेतन मन बहुत शक्तिशाली है। चेतन मन एक विचार बनाता है, उसे अवचेतन मन में भेज देता है और अवचेतन मन विचार का निर्माण शुरू कर देता है। इसलिए, हमें अपने चेतन मन को अधिकतर सकारात्मक विचार बनाने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए। उसके लिए, व्यक्ति को सकारात्मक सोच का अभ्यास करना चाहिए और नकारात्मक विचारों को दूर करना चाहिए। जल्द ही, मन केवल सकारात्मक विचारों को जारी करना शुरू कर देगा।

4. सभी स्थितियों को स्वीकार करने का अभ्यास करें 

सभी प्रकार की स्थितियों को शांति से स्वीकार करना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है। हम सभी यह जानते हैं कि हमारे जीवन पर हमारा पूर्ण नियंत्रण नहीं है। हर समय सुखद स्थिति बने रहना संभव नहीं है, इसलिए जब हम जीवन के हिस्से के रूप में सफलता और असफलता का सामना समान रूप से करेंगे, तो हम अपने आत्म के साथ शांति से रह सकते हैं। जब चीजें हमारे तरीकों के अनुसार नहीं चलती हैं, तो नकारात्मकता बढ़ती है। स्वीकृति और प्रवाह के साथ जाना जीवन में नकारात्मकता से बचने का महत्वपूर्ण तरीका है।

5. पेपर पर लिखें और नष्ट करें 

यदि आपके नकारात्मक विचार किसी विशेष मजबूत भावना जैसे भय, क्रोध या ईर्ष्या से जुड़े हुए हैं, तो उन सभी को लिखने की कोशिश करें। एक पेन और पेपर लें और उन सभी नकारात्मक विचारों को पेपर पर लिख कर व्यक्त करें। फिर इस पेपर को नष्ट कर दें, जो आगे बढ़ने में मदद करेगा। जो लोग लिख कर खुद को व्यक्त नहीं कर सकते, वे कलात्मक प्रयासों जैसे की चित्र बनाकर ऐसा कर सकते हैं और फिर उसे नष्ट कर सकते हैं।

 इस तकनीक का उद्देश्य अपनी नकारात्मकता को बाहर निकालना है, ताकि आप इसे संतोषजनक प्रतीकात्मक तरीके से ख़त्म कर सकें।

6. खुद के साथ तर्क करें 

जब हमारा दिमाग कमजोर होता है, तो नकारात्मकता उस पर हावी हो जाती है। लेकिन जब हम भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं, तो हम नकारात्मकता को नजरअंदाज करके आगे बढ़ जाते हैं। 

जैसे ही आपको लगता है कि नकारात्मकता का चक्र शुरू हो रहा है, खुद के साथ तर्क करने की कोशिश करें, इस तकनीक में एक वाक्य ढूंढना शामिल है, जिसे आपको दोहराना है, आपको स्वयं को यह बताना है की आप के अंदर शक्ति है और समय आने पर उस शक्ति को बढ़ाना है।

एक गहरी सांस लें और इस दृष्टिकोण का अभ्यास करें – उदाहरण के लिए यदि नकारात्मक विचार का कारण अच्छी नौकरी ना मिलना है, तो दोहराएं “मैंने एक अच्छी नौकरी पाने के लिए संघर्ष किया है” इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे भविष्य में अच्छी नौकरी कभी नहीं मिलेगी।”अपने चुने हुए वाक्य के बाद, तनाव और नकारात्मकता को दूर करने के लिए “रिलैक्स ” शब्द कहते हुए साँस छोड़े।

इसी तरह आपकी नकारात्मकता का जो भी कारण हो, उसमे अपना एक वाक्य ढूंढे और ऊपर बताई गई प्रक्रिया दोहराएं। 

7. नकारात्मक विचारों का पैटर्न बनने से रोकें 

अपने दिमाग को विचारों के पूर्वनिर्धारित पैटर्न में सेट न होने दें। कई बार ऐसा होता है, कि हम किसी के बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो नकारात्मक विचार आने लगते है। उस समय विचारों का पैटर्न तोड़ना जरूरी होता है। चेतन मन आपके हस्तक्षेप के बिना एक निर्धारित दिनचर्या का पालन करता है। जब हमारा दिमाग नकारात्मक विचारों के पैटर्न में स्थापित होता है, तो यह उसी का पालन करता है।

यदि हम अपने दिमाग को उस दिशा में नहीं जाने देंगे, तो नकारात्मक विचारों से घिरने से बच जायेंगे ।

8. खाली ना बैठें   

अधिकांश बुरे विचार खाली समय के दौरान आते हैं ,जब हमारा मस्तिष्क खाली होता है, तो वह व्याकुलता के कारण भटकने लग जाता है और नकारात्मक विचार आने लगते हैं। खाली वक्त में अपनी रुचि का कुछ भी करें जैसे की संगीत सुनना, पढ़ना, व्यायाम करना चित्र बनाना इत्यादि।

9. मैडिटेशन का अभ्यास करें

सकारात्मक सोच और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए मैडिटेशन का अभ्यास करे। मैडिटेशन करते समय हमारा शरीर और मन एक दूसरे के साथ तालमेल बनाते हैं। जब हम अपनी धीमी सांस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो यह हमारे दिमाग को आराम देने और शांत रखने में मदद करता है। इस तरह हम चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकते हैं। मैडिटेशन के लिए हर रोज कुछ समय निर्धारित करें।

10. शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें

अपने आहार और व्यायाम पर ध्यान दें, इससे आपको खुश और सकारात्मक रहने में मदद मिलेगी। वर्कआउट करते समय, हमारा शरीर हार्मोन को रिलीज करता है जो सकारात्मकता पैदा करते है। अध्ययनों से साबित हुआ है कि जो लोग नियमित कसरत करते हैं, वे खुश और संतुष्ट रहते हैं। नकारात्मकता को दूर रखने के लिए व्यायाम के लिए कुछ समय निर्धारित करें।

यह भी जानें – सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy)और सोच को कैसे अपनाएं 

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About the Author: Kusum Kaushal

कुसुम कौशल ने उत्तराखंड में स्थित विश्वविद्यालय (हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी) से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हिंदी उनकी मूल भाषा है।

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