शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बीच सम्बन्ध

स्वस्थ रहना हमारे जीवन का एक मुख्य लक्ष्य है, स्वास्थ्य संबंधी सलाह कई जगह दी जाती है ,लेकिन इसका ज्यादातर हिस्सा केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर केंद्रित है। हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे के साथ जुड़े हुए है। यदि मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य संतुलन बिगड़ता है तो हमें नुकसान पहुंचता है ।

स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मन का वास होता है इसी प्रकार मन के स्वस्थ्य रहने पर शरीर भी स्वस्थ्य रहता है। किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का पता उसकी भावनात्मक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्तरों पर चलता है । व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का उनके कार्य करने, भावनाओं को संसाधित करने और निर्णय लेने के तरीके पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

अच्छे मानसिक स्वास्थ्य वाला व्यक्ति स्वस्थ संबंधों को बनाए रख सकता है, भावनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला व्यक्त कर सकता है और परिवर्तन के दौरान आने वाली कठिनाइयों का सामना आसानी से कर सकता है। हमारे मानसिक स्वास्थ्य में इतनी शक्ति होती है की यह शरीर की गंभीर बीमारियों को भी ठीक कर सकता है इसलिए हमें अपने मस्तिष्क को भी स्वस्थ्य रखना है।

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का गहरा सम्बन्ध  

आप सोच रहे होंगे कि, मेरे मानसिक स्वास्थ्य का मेरे शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? खराब मानसिक स्वास्थ्य स्वस्थ निर्णय लेने और  बीमारियों से लड़ने की क्षमता को प्रभावित करता है। मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करने से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं जैसे-

  • दिल की बीमारी
  • उच्च रक्तचाप
  • कमजोर इम्म्यून सिस्टम 
  • दमा
  • मोटापा
  • पाचन सम्बन्धी समस्याएं इत्यादि 

अपने  शरीर और मन को स्वस्थ्य कैसे रखें

अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए मन को शांत ,चिंता मुक्त रखने के साथ साथ खुश रहिये इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ तरीके हैं जिनसे हम अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं: 

नियमित रूप से व्यायाम करें– व्यायाम करने से एंडोर्फिन और सेरोटोनिन जैसे ब्रेन के फील-गुड केमिकल्स रिलीज़ होते हैं जो अवसाद और चिंता को कम करते हैं।  व्यायाम का कोई भी रूप चुनें जो आपके लिए अच्छा हो जैसे कार्डियो-इंटेंसिव इंटरवल ट्रेनिंग या  योगाभ्यास कुछ भी चुने और उसे नियमित रूप से करें। 

स्वस्थ आहार खाएं – प्रॉसेस्ड , उच्च-कैलोरी और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थों से भरे आहारों अवसाद और चिंता को बढ़ाने में सहायक होते हैं । भोजन को स्किप करने से बचे इससे थकान होती है और भोजन ना करने पर जब भूख लगती है तो अनहेल्थी सनेक्स खा लेते हैं। अपने भोजन में ताज़ा  फल, सब्जियां, नट्स, साबुत अनाज,  स्वस्थ वसा को शामिल करने की कोशिश करें। यह ब्रेन फंक्शन को बढ़ाने में मददगार होते हैं।

सोने के लिए एक सख्त नियम निर्धारित करें  – पर्याप्त नींद ना लेना अवसाद, चिंता और तनाव का कारण बन सकता है। वयस्कों को सात से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। यदि आपको नींद आने में परेशानी होती है तो कैफीन (चाय,कॉफ़ी )का सेवन कम करें या सोने के लिए एक सख्त समय निर्धारित करें।

अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पियें  -तरल पदार्थों के लिए पानी सबसे बेहतर है। आपने हर दिन आठ गिलास पानी पीने की सलाह सुनी होगी। लेकिन आपके स्वास्थ्य या व्यायाम की आदतों जैसे कारकों के कारण हर व्यक्ति की पानी की ज़रूरत अलग-अलग होती है। प्यास लगने पर, और अपने चिकित्सक या एक पोषण विशेषज्ञ से बात करके यह जाने की आपको हर रोज़ कितने पानी पीने की आवश्यकता है, पर्याप्त पानी पीना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह डीहाइड्रेशन को रोकता है। डीहाइड्रेशन मूड स्विंग का कारण बन सकता है।इस प्रकार पानी हमारे मानसिक और शारीरिक दोना के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। 

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About the Author: Kusum Kaushal

कुसुम कौशल ने उत्तराखंड में स्थित विश्वविद्यालय (हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी) से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हिंदी उनकी मूल भाषा है।
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