हम सभी जानते है कि अच्छी नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और हमारी प्रतिरक्षा को बढ़ाती है। जब हम सोते हैं, तो हमारा शरीर रिपेयर मोड में चला जाता है और प्रमुख अंगों का उपचार होता है। नींद न केवल हमे ताजा और उर्जावान बनाने में मदद करती है, बल्कि बेहतर तरीके से हमे दिन-प्रतिदिन के कार्यों से निपटने में भी मदद करती है। यह हमारे दिमाग को शांत करती है और तनाव को कम करती है। सबसे महत्वपूर्ण, यह हमारी प्रतिरक्षा के पुनर्निर्माण में मदद करती है।
लेकिन कई लोग नींद ना आने (अनिद्रा ) की समस्या से परेशान रहते हैं। अनिद्रा एक नींद विकार है, जिसमें लोगों को नींद नहीं आती है, रात को लंबे समय तक जागते रहते हैं, और सुबह बहुत जल्दी उठ जाते हैं, जिसकी वजह से आमतौर पर दिन में नींद आना, ऊर्जा में कमी , चिड़चिड़ापन और मन उदास रहता है। इसके परिणामस्वरूप ध्यान केंद्रित करने में समस्या हो सकती है। अनिद्रा अल्पकालिक भी हो सकती है, और काफी दिनों या हफ्तों तक चल सकती है, या लम्बे समय तक चल सकती है।
यह कठिनाई लगभग 30 – 35 % लोगों की है। इसके कई आसान उपाय हैं, जिन्हे अपनाकर आप स्वयं की मदद कर सकते हैं। आज कल बच्चों और किशोरों (teens ) में भी नींद ना आने की समस्या हो रही है, जो चिंता का विषय है। कुछ बच्चों और किशोरों को सोने में परेशानी होती है या वे नियमित सोने का पालन नहीं करते हैं क्योंकि उनकी आंतरिक चक्र में विलम्ब (delay ) हो गया है। वे देर से सोने जाते हैं और सुबह देर तक सोना चाहते हैं।
यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह दोनों शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
नींद ना आने से होने वाली समस्याएं
1. अनिद्रा के कारण दिन के समय थकान बनी रहती है और ऊर्जा की कमी महसूस होती है।
2. एकाग्रता (concentration) में कमी आती है।
3. सामान्य गतिविधियों या रोज़मर्रा के कामों में भी मन नहीं लगता।
4. चिड़चिड़ापन रहता है।
5. यहाँ तक की आप अवसाद और चिंता (Depression and anxiety) का शिकार भी हो सकते हैं।
6. इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जब हम सोते हैं, तो प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी और साइटोकिन्स जैसे सुरक्षात्मक, संक्रमण से लड़ने वाले पदार्थ पैदा करती है। शरीर इनका उपयोग बैक्टीरिया और वायरस से मुकाबला करने के लिए करता है। नींद की कमी प्रतिरक्षा प्रणाली को अपनी शक्तियों के निर्माण में रुकावट पैदा करती है। जिस वजह से बीमारी को ठीक होने में अधिक समय भी लग सकता है।
7. नींद उन प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है, जो हृदय और रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखती हैं, जिनमें वे भी शामिल हैं जो रक्त शर्करा, रक्तचाप और इम्फ्लेशन के स्तर को प्रभावित करती हैं। यह शरीर की रक्त वाहिकाओं और हृदय को ठीक रखने और मरम्मत करने की क्षमता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जो लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, उन्हें हृदय रोग होने की संभावना अधिक होती है। एक अध्ययन में अनिद्रा को दिल के दौरे और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है।
8. अनिद्रा का त्वचा पर भी बुरा असर पड़ता है, नींद पूरी न होने से त्वचा रूखी हो सकती है और आंखें सूज जाती हैं। नींद की कमी से आंखों के नीचे काले घेरे हो सकते हैं।
नींद की औसत (average ) मात्रा क्या है?
अलग-अलग लोगों की नींद की आवश्यकता अलग-अलग होती है। कुछ लोग रात में सिर्फ 3-4 घंटे सो कर ही नींद की मात्रा पूरी कर लेते हैं, दिन में तरोताज़ा महसूस करते हैं और थकते नहीं हैं। ज्यादातर लोगों को इससे ज्यादा की जरूरत होती है। प्रति रात 6-9 घंटे की आवश्यकता औसत है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, कम सोना सामान्य है।
हर व्यक्ति अलग है। महत्वपूर्ण बात यह है, हम जितनी नींद लेते हैं, वह हमारे लिए पर्याप्त होनी चाहिए। यानी की सुबह उठकर हम तरोताजा महसूस करें और दिन के समय आलस्य नहीं रहे। इसलिए, अनिद्रा की परिभाषा को हम इस तरह देखेंगे – सोने में कठिनाई होना, बहुत जल्दी जग जाना, जिसके परिणामस्वरूप एकाग्रता में कमी , मनोदशा में अशांति, दिन में थकान रहना इत्यादि।
समस्या गंभीर होने पर नींद को बढ़ावा देने के लिए नियमित व्यायाम और कुछ मनोवैज्ञानिक उपचार भी किये जाते हैं। नींद की गोलियां लेना ठीक नहीं है, क्योंकि उन्हें लगातार लेने से उनके आदी बन सकते हैं और उन्हें नियमित रूप से लेते हैं, तो वे अक्सर काम करना बंद कर देती हैं।
सामान्य नींद किसे कहेंगे
रात की एक सामान्य नींद के तीन मुख्य भाग होते हैं:
पहला – शांत नींद – इसे 1- 4 चरणों में बांटा गया है। प्रत्येक चरण अधिक गहरा हो जाता है। शांत नींद ही गहरी नींद है। दूसरा – रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) स्लीप -आरईएम नींद तब आती है, जब मस्तिष्क सक्रिय होता है, लेकिन शरीर सो रहा होता है। ज्यादातर सपने इसी दौरान आते हैं। तीसरा – बीच में 1-2 मिनट के लिए जागना।
प्रत्येक रात हम लगभग 4-5 अवधि की शांत नींद लेते हैं, जिसके बीच बीच में 4-5 अवधियों की REM नींद होती है। इसके अलावा, 1-2 मिनट के लिए जागने की कई छोटी अवधि लगभग हर दो घंटे में होती है, लेकिन जब रात की नींद ख़त्म होने वाली होती है तो यह अधिक बार होती है।
आम तौर पर, हमे वह समय याद नहीं रहता जब हम 1 -2 मिनट के लिए बीच में जागते हैं, यदि जागने के समय के दौरान किसी वजह ( किसी आवाज़ या किसी अन्य कारण से ) ध्यान भटक जाता है, तो जागने का समय अधिक समय तक चल सकता है और वह हमे याद रहता है।
नींद ना आने के कारण
अनिद्रा के कई संभावित कारण हैं।
तनाव, चिंता या अवसाद – यदि आपको किसी भी प्रकार जैसे की काम, स्वास्थ्य, वित्त या परिवार इत्यादि का तनाव रहता है, तो यह रात में आपके दिमाग को सक्रिय कर सकता है, जिससे नींद आने में मुश्किल होती है। तनावपूर्ण जीवन की घटनाएं भी अनिद्रा का कारण बन जाती है। कभी-कभी डिप्रेशन के कारण भी नींद नहीं आती है। डिप्रेशन या एंग्जायटी का इलाज अक्सर खराब नींद की समस्या को भी ठीक कर देता है।
कुछ आदतें – कुछ आदतें जैसे की अनियमित सोने का समय, नींद का असहज वातावरण, सोने से ठीक पहले कंप्यूटर, टीवी, वीडियो गेम, स्मार्टफोन या अन्य स्क्रीन पर काम करना या देखना, आपके नींद चक्र में रूकावट कर सकती है।
रात का भोजन देर से और बहुत अधिक खाना – रात के समय बहुत अधिक खाने से लेटते समय शारीरिक रूप से असहजता महसूस हो सकती है। बहुत से लोगों को खाने के बाद सीने में जलन, पेट में एसिड और भोजन के वापस ग्रासनली में जाने का भी अनुभव होता है, जिस वजह से नींद आने में परेशानी होती है।
कैफीन, निकोटीन इत्यादि का सेवन – कॉफी, चाय, कोला और अन्य कैफीनयुक्त पेय उत्तेजक (stimulants ) हैं। शाम को इन्हें पीने से रात को नींद आने में परेशानी हो सकती है। तंबाकू उत्पादों में निकोटीन भी उत्तेजक है, जो नींद में हस्तक्षेप कर सकता है।
चिकित्सीय स्थिति (medical conditions) – अनिद्रा चिकित्सा स्थितियों या कुछ दवाओं के उपयोग से भी जुड़ी हो सकती है। चिकित्सीय स्थिति का इलाज करने से नींद में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
कई दवाएं भी नींद में हस्तक्षेप कर सकती हैं, जैसे कि कुछ एंटीडिपेंटेंट्स और अस्थमा या रक्तचाप की दवाएं। कुछ दर्द निवारक दवाएं, एलर्जी की दवाएं आदि।
कम सक्रिय रहना – शारीरिक या सामाजिक रूप से कम सक्रिय होना भी रात की नींद में बाधा डालता है। गतिविधि की कमी रात की नींद में हस्तक्षेप कर सकती है। साथ ही, आप जितने कम सक्रिय होंगे, आपके दिन में झपकी लेने की संभावना उतनी ही अधिक होगी, जो रात की नींद में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
दुष्चक्र बन जाना – अनिद्रा के कारण जो भी हो, लेकिन नींद न आने की चिंता और अगले दिन थकान महसूस होने की चिंता, समस्या के बदतर होने के सामान्य कारण हैं।
इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन पर बिताया गया टाइम- इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन को देखने में जितना ज्यादा समय बिताते हैं, वह हमारी नींद को प्रभावित कर सकता है। ई-रीडर और इलेक्ट्रॉनिक टैबलेट या कंप्यूटर, फ़ोन से कुछ प्रकार की रोशनी हमारे प्राकृतिक दिन-रात चक्र के नियंत्रण को बाधित कर सकती है।अध्ययन बताते हैं कि बच्चों और किशोरों में दिन में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अधिक उपयोग रात में नींद को बाधित कर सकता है।
बेहतर नींद के लिए उपाय
1. दिन के समय नियमित रूप से व्यायाम करें
व्यायाम करने का एक नियम बनायें व्यायाम बेहतर नींद में मदद करता है। दिन में 20-30 मिनट व्यायाम करने से सोते समय थकान महसूस करेंगे इससे आपको बेहतर नींद लेने में मदद मिल सकती है। व्यायाम के लिए आपको जिम जाने की जरूरत नहीं है, तेज चलना, टहलना, साइकिल चलाना, सीढ़ियाँ चढ़ना, ये सभी मध्यम-तीव्रता वाले शारीरिक व्यायाम हैं। अनिद्रा की समस्या होने पर सोने जाने के समय के करीब व्यायाम नहीं करना चाहिए, दिन में करें।
2. रात के समय हैवी भोजन खाने से बचें
रात में हैवी और मसालेदार भोजन खाने से बचना चाहिए। इस तरह का भोजन अपच की समस्या पैदा कर सकता है, जिसके कारण नींद में खलल पैदा होती है। रात का भोजन हल्का होना चाहिए और सोने से दो घंटे पहले कर लेना चाहिए।
3. गरम पानी से स्नान
सोने से लगभग डेढ़-दो घंटे पहले गरम पानी से स्नान करें इससे न केवल शरीर को आराम मिलता है बल्कि यह नींद लाने में भी मदद करता है।
4. सोने से पहले कैफीन, धूम्रपान इत्यादि से बचें
कैफीन ऊर्जा बढ़ा देती है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है, इसलिए कैफीन रात में नींद आने में रुकावट पैदा करती है। अध्ययन में पाया गया कि सोने से छह घंटे पहले कैफीन लेने से नींद की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
5. बैडरूम सोने के लिए एक शांत, आरामदेह स्थान होना चाहिए
बैडरूम आरामदायक होना चाहिए, बहुत गर्म या बहुत ठंडा नहीं होना चाहिए और शांत होना चाहिए। काम करने, खाने या टेलीविजन जैसी गतिविधियों के लिए बेडरूम का उपयोग न करें। अलार्म घड़ी को अपने बिस्तर के सामने न रखें ,बहुत से लोग घड़ी को बार बार देखते रहते हैं इससे सोने में मदद नहीं मिलती है।
6. मनः स्थिति और वातावरण
बिस्तर पर जाने से पहले एक दिनचर्या के साथ आराम करने और शांत होने का प्रयास करें। उदाहरण के लिए: टहलने के बाद स्नान, कुछ पढ़ना आदि। सोने के पहले कोई मानसिक स्थिति को थकाने वाला कार्य न करें। कुछ लोगों के लिए सोते समय सॉफ्ट संगीत सुनना नींद आने में मददगार होता है।
शारीरिक व्यायाम के साथ -साथ, अच्छी नींद लेने के लिए ध्यान सबसे प्रभावी तकनीकों में से एक है। माइंडफुल मेडिटेशन न केवल नींद लाने में मददगार होता है, यह एकाग्रता में सुधार करता है, तनाव को कम करता है और शांत और मानसिक स्थिति को संतुलित करता है। यह श्वास, शरीर के अंगों, विचारों और भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। अच्छी नींद के लिए मेडिटेशन का अभ्यास करना फायदेमंद होता है।
8. हर्बल चाय
सोने से पहले हर्बल टी पीने से नींद अच्छी आती है। यह शरीर को शांत करती है और सोने में मदद करती है। रात में कैमोमाइल चाय भी अनिद्रा को दूर करने के लिए अच्छा विकल्प हैं। आप खसखस की चाय भी पी सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसे पीते ही तुरंत सोने चले जाएँ।