क्या ब्राउन चीनी सफ़ेद चीनी से बेहतर है ?

हम सभी जानते हैं की ब्राउन राइस सफ़ेद से बेहतर होता है, इसी तरह ब्राउन ब्रेड सफ़ेद की तुलना में अच्छी मानी जाती है, ब्राउन को आधार मानकर हम यह निर्णय ले लेते हैं की ब्राउन चीनी भी सफ़ेद चीनी की तुलना में बेहतर होगी और बिना समझे उसका इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं, लगभग दोगुनी कीमत चुकाकर। क्या वाकई में ऐसा है ? इसी की चर्चा आज हम यहाँ करेंगे। 

 ब्राउन चीनी क्या है ?

ब्राउन चीनी मोलासेस या गन्ने के शीरे ( रिफाइनिंग प्रक्रिया के दौरान कच्ची चीनी से प्राप्त गाढ़ा, गहरा भूरा रंग का सिरप) के साथ मिलाई गई सफेद चीनी ही है। ब्राउन शुगर बनाने के लिए गन्ने का शीरा 5% के साथ रिफाइंड शुगर क्रिस्टल को  95% इस्तेमाल किया जाता है। कच्ची चीनी ( raw sugar )या शक्कर भी आमतौर पर भूरे रंग की होती है, और गन्ने के रस के वाष्पित होने पर बनती है। हालांकि, कई लोग ब्राउन शुगर को शक्कर (raw sugar ) समझ लेते हैं।

ब्राउन शुगर में मोलासेस के कारण पोषक तत्व (कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम ) हैं, लेकिन पोषक तत्व इतनी कम मात्रा में हैं कि इन्हे महत्वहीन माना जाता है और इनके स्वास्थ्य लाभ ना के बराबर हैं।

ब्राउन शुगर सफेद चीनी से ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक नहीं है, जैसा कि ज्यादातर लोग सोचते हैं। यह व्हाइट शुगर के समान ही है।

सफेद चीनी की तुलना में ब्राउन को अक्सर लोग रॉ चीनी समझ लेने के कारण बेहतर मान लेते हैं , रॉ चीनी ( raw sugar ) प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होती है। लेकिन ब्राउन और सफेद दोनों ही पोषण मूल्य के मामले में लगभग समान हैं।

ब्राउन शुगर और व्हाइट शुगर के पोषण मूल्य 

ब्राउन शुगर और व्हाइट शुगर का पोषण मूल्य लगभग समान होता है। ब्राउन शुगर में फैट नहीं होता है और सारी कैलोरी इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट से आती है। ब्राउन शुगर में सफेद चीनी की तुलना में थोड़ी मात्रा में कैल्शियम, आयरन और पोटेशियम होता है। सफेद चीनी को रिफाइंड चीनी के रूप में भी जाना जाता है। इसमें ब्राउन शुगर की तुलना में थोड़ी अधिक कैलोरी होती है। 

ब्राउन शुगर (एक चम्मच में )

  • कैलोरी: 17.5
  • सोडियम: 1.3mg
  • कार्बोहाइड्रेट: 4.5g
  • चीनी: 4.5g
  • प्रोटीन: 0g

सफेद चीनी (एक चम्मच में )

  • कैलोरी: 20
  • कार्बोहाइड्रेट: 5g
  • चीनी: 5g
  • प्रोटीन: 0g

चाहे आप सफेद चीनी खाएं या भूरे रंग की आप सामान मात्रा में कैलोरीज़ खा रहे हैं।

 

रॉ चीनी बनाम ब्राउन चीनी 

रॉ चीनी आंशिक रूप से रिफाइंड शुगर होती है, जिसे हम शक्कर के नाम से भी जानते हैं।  जबकि ब्राउन शुगर मोलासेस के साथ मिलाई गई सफेद चीनी होती है। रॉ चीनी और ब्राउन दोनों एक जैसे  दिख सकती हैं, लेकिन ये दोनों काफी अलग हैं।

रॉ चीनी अनरिफाइंड और क्रिस्टलीकृत गन्ने का रस है। इसमें 96 % सुक्रोज और 4% प्लांट मिनरल्स  होते हैं, और यह ब्राउन शुगर की तुलना में स्वास्थ्यवर्धक है, क्योंकि इसमें मौजूद शीरा पूरी तरह से निकाला नहीं जाता है।

सफेद और ब्राउन दोनों चीनी की तुलना में शक्कर( गुड़ का पाउडर ) बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह प्रोसेस्ड नहीं है और पोटेशियम, मैग्नीशियम, ज़िंक और आयरन  जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। यह मेटाबोलिज्म को बढ़ाती है , इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने और शरीर में मांसपेशियों के निर्माण में मदद करती है। इसमें दोनों चीनी की तुलना में कैलोरी भी कम होती है। 

हालाँकि चीनी की तुलना में शक्कर( गुड़ का पाउडर ) बेहतर है, फिर भी  इसका सेवन कम मात्रा में किया जाना चाहिए। टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को गुड़ को अपने आहार में शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

सफ़ेद और ब्राउन चीनी में अंतर 

दोनों के बीच अंतर स्वाद, रंग और खाना पकाने/बेकिंग पर पड़ने वाले प्रभाव का है। व्यंजनों में ब्राउन चीनी डालने पर उनका रंग और स्वाद प्रभावित होता है।

ब्राउन चीनी का इस्तेमाल ज्यादातर चॉकलेट केक और कुकीज़ के साथ-साथ फ्रूट केक बनाने में भी किया जाता है।

ब्राउन चीनी में मौजूद मोलासेस नमी बरकरार रखता है, इसलिए इसका उपयोग करने से बेक किए गए व्यंजन नरम बनते हैं। जैसे की ब्राउन चीनी से बनी कुकीज़ सफेद चीनी से बनी कुकीज़ की तुलना में अधिक नम और नरम होती हैं। ब्राउन चीनी को कई तरह के सॉस बनाने में भी किया जाता है, जैसे बारबेक्यू सॉस इत्यादि।

हमारे शरीर को कार्य करने के लिए कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है।  शरीर को पूरे दिन काम करने के लिए ऊर्जा बनाने के लिए चीनी आवश्यक है। हालांकि, शरीर को ऊर्जा बनाने के लिए अपने आहार में अतिरिक्त शर्करा या चीनी  युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना ठीक नहीं है।

चीनी के सेवन के प्रति चाहे वह सफ़ेद हो या भूरी सचेत और सतर्क रहना आवश्यक है, क्योंकि यह लंबे समय में स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ज्यादा चीनी के सेवन से मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। 

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About the Author: Kusum Kaushal

कुसुम कौशल ने उत्तराखंड में स्थित विश्वविद्यालय (हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी) से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हिंदी उनकी मूल भाषा है।

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