स्वास्थ्य के लिए काली चाय के अविश्वसनीय लाभ

पानी के बाद चाय सबसे ज्यादा पिया जाने वाला पेय पदार्थ है। कहा जाता है कि स्वस्थ रहने के लिए ब्लैक टी का सेवन करना चाहिए। काली चाय के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह शरीर को कई तरह से फायदा पहुँचाती है।

सभी चाय कैमेलिया साइनेंसिस पौधे से प्राप्त होती हैं, लेकिन पौधे की कटाई और प्रॉसेसिंग के तरीके विभिन्न प्रकार की चाय का उत्पादन करते हैं। कटाई के बाद चाय की पत्तियां कई प्रक्रियाओं से गुजरती हैं, जैसे की उन्हें सुखाना, मसलना ,पलटना और ऑक्सीकरण। ऑक्सीकरण तब होता है जब पत्तियां लंबे समय तक हवा के संपर्क में रहती हैं। एंजाइम पत्तियों में रसायनों को निकालने में मदद करते हैं, जिससे उनका भूरा रंग और खुशबू पैदा होती है। कॉफी की तुलना में ब्लैक टी में अपेक्षाकृत कम कैफीन होता है।

इसमें पॉलीफेनोल्स के शक्तिशाली समूह होते हैं। जिनमें एपिगैलोकैटेचिन गैलेट, थियाफ्लेविन्स, थेरुबिगिन्स, एक एमिनो एसिड एल-थेनाइन, और कई अन्य कैटेचिन या फ्लेवोनोइड शामिल हैं जो कई विकारों से बचाते हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कोलेस्ट्रॉल, उच्च ट्राइग्लिसराइड स्तर और मोटापा कई हृदय विकारों से जुड़ा है, अध्ययनों से पता चला है कि नियमित रूप से काली चाय पीने से हृदय संबंधी विकारों की शुरुआत की संभावना को कम करने में मदद मिलती है।

1990 से 2004 तक काली चाय के लाभदायक और हानिकारक दोनों पहलुओं  पर अध्ययनों के बाद निष्कर्ष निकाला कि नियमित रूप से काली चाय पीने से हृदय विकारों का जोखिम काफी कम हो गया, काली चाय पीने से शरीर की एंटीऑक्सीडेंट स्थिति में काफी सुधार हुआ है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसा कोई विश्वसनीय सबूत नहीं मिला है जिससे पता चलता हो कि काली चाय हानिकारक है। ब्लैक टी पीना वजन को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।

काली चाय के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, इसमें से कुछ निम्नलिखित हैं –

कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक 

अध्ययनों से साबित हुआ है कि जो लोग रोजाना काली चाय का सेवन करते हैं, उनके कोलेस्ट्रॉल के स्तर में आमतौर पर कमी होती है। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर स्ट्रोक और दिल की बीमारियों का कारण बनता है।

डाइबिटीस के जोखिम को कम करती है 

बुजुर्ग लोगों पर किए गए एक शोध के आधार पर यह पता चला कि जो लोग लंबे समय से मध्यम स्तर ( एक दिन में 1-2 कप) काली चाय का सेवन कर रहे थे, उनमें 70% टाइप 2 मधुमेह होने या विकसित होने की संभावना कम थी। काली चाय ना केवल ब्लड शुगर को कम करती है, बल्कि इंसुलिन की स्थिति में भी सुधार करती है। एक अन्य अध्ययन में, जांचकर्ताओं ने बताया कि ब्लैक टी कैटेचिन ने इंसुलिन हार्मोन की स्थिति में सुधार किया। यह बीटा सेल को खराब होने से बचाती है। काली चाय में रोगाणुरोधी गुण भी होते हैं। काली चाय में मौजूद पॉलीफेनोल्स हानिकारक जीवाणुओं के विकास को रोकते हैं।

अस्थमा में राहत

ब्लैक टी दमा की स्थिति में काफी राहत देती है। यह वायु मार्ग के लिए जगह बनाती है, जिससे सांस लेने में मदद मिलती है।

कैंसर से बचाती है

चाय में मौजूद पॉलीफेनोल और कैटेचिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट कुछ प्रकार के कैंसर को रोकने में मदद करते हैं। नियमित रूप से काली चाय पीने से कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है। 

पाचन में सहायक 

काली चाय टैनिन से भरपूर होती है, जो पाचन तंत्र पर अच्छा प्रभाव डालती है, जो पाचन विकारों के इलाज में भी मदद करती है।

हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए 

नियमित काली चाय पीने वालों की हड्डियां मजबूत होती हैं और चाय में पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स के कारण गठिया होने की संभावना कम होती है।

तनाव से राहत

हम सभी ब्लैक टी के रिलैक्स करने के लाभ को जानते हैं। यह न केवल रिलैक्स करने में मदद करती है, अध्ययनों से पता चलता है कि ब्लैक टी में पाया जाने वाला एमिनो एसिड एल-थीनाइन रिलैक्स करने के साथ साथ ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। काली चाय को नियमित रूप से मध्यम मात्रा में पीने से तनाव हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर को कम करने में भी मदद मिलती है। तनाव होने पर ब्लैक टी पीने से तनाव को दूर करने और आंतरिक मन को शांत करने में मदद मिलती है। यह नसों को आराम देने में मदद करती है।

इम्यून सिस्टम को ठीक रखती है 

ब्लैक टी में एल्केलामाइन एंटीजन होते हैं, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसमें टैनिन भी होते हैं, जो वायरस से लड़ने में मदद करते हैं, इसलिए यह इन्फ्लूएंजा, पेट फ्लू और ऐसे अन्य सामान्य रूप से पाए जाने वाले वायरस से सुरक्षित रखने में मदद करती है। 

ऊर्जा बढ़ाती है  

चाय मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करती है। यह मेटाबोलिज्म और श्वसन प्रणाली के साथ-साथ हृदय और गुर्दे को भी ऊर्जा देती है।

वजन घटाने में मदद करती है

वजन घटाने के लिए ब्लैक टी लाभदायक है। काली चाय के सेवन से आंत की चर्बी से छुटकारा पाया जा सकता है। मोटापा अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मधुमेह, हृदय की समस्याओं, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना आदि का मुख्य कारण है। काली चाय पीने से आंत की चर्बी कम करने और उचित वजन बनाए रखने में मदद मिलती है।

मानसिक सतर्कता को बढ़ाती है 

शोध के अनुसार काली चाय मानसिक सतर्कता को बढ़ाती है। यह दिमाग के कार्य और ध्यान क्षमता को नियंत्रित करती है।

समय से पहले बूढ़ा होने से रोकती है 

ब्लैक टी पीने से समय से पहले बूढ़ा होने और झुर्रियों से रोका जा सकेगा क्योंकि ब्लैक टी एक एंटी-एजिंग एजेंट है। काली चाय त्वचा सूर्य की किरणों से होने वाले नुक्सान से बचाने में भी मदद करती है। यह त्वचा में सुधार लाती है।

पार्किंसंस का खतरा कम 

पार्किंसंस एक ऐसी बीमारी है, जो अक्सर बुजुर्गों को प्रभावित करती है। यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है। लेकिन आजकल युवा पीढ़ी भी अस्वस्थ जीवनशैली, तनाव आदि के कारण इससे संक्रमित हो रही है। ब्लैक टी के सेवन से मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिससे पार्किंसंस रोग होने का खतरा कम होता है।

त्वचा संक्रमण (skin Infection ) की रोकथाम

ब्लैक टी में मौजूद फ्लेवोनोइड्स जैसे गुणों के कारण, ब्लैक टी त्वचा के संक्रमण की  रोकथाम करती है। दवा के साथ साथ काली चाय पीने से उपचार प्रक्रिया को तेज करने में मदद मिलती है।

त्वचा के लिए काली चाय

यह त्वचा को अच्छी और स्वस्थ रखने में भी मदद करती  है। ज्यादातर ब्यूटी प्रोडक्ट्स में ब्लैक टी होती है। यह त्वचा को फिर से जीवंत करने में मदद करती है।

बालों के लिए काली चाय

ब्लैक टी बालों के लिए भी अच्छी होती है। यह बालों को चमकदार बनाती है, बालों को तेजी से बढ़ने में मदद करती है और संक्रमण से मुक्त रखती है। 

काली चाय के और भी कई लाभ हैं, यहाँ दी गई सूची तक ही सीमित नहीं हैं। लेकिन ब्लैक टी का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। इसका बहुत अधिक सेवन करने से पाचन खराब हो सकता है। इसकी लत लगने से पेट में एसिडिटी भी हो सकती है। बहुत अधिक पीने पर यह सिरदर्द का कारण भी बन सकती  है।

जो लोग बहुत अधिक चाय पीते हैं, विशेष रूप से दूध, चीनी या किसी सिरप के साथ वे यह बात ध्यान में रखें की वे कैफीन और चीनी की अधिक मात्रा भी ले रहे हैं।चाय में चीनी, दूध, क्रीम और सिरप मिलाने से कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है और इसके स्वास्थ्य लाभ कम हो जाते हैं। जो लोग किसी प्रकार की दवा ले रहें हैं वे अपने डॉक्टर की सलाह लेकर इसका सेवन करें।

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About the Author: Kusum Kaushal

कुसुम कौशल ने उत्तराखंड में स्थित विश्वविद्यालय (हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी) से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हिंदी उनकी मूल भाषा है।

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