पान के पत्ते के लाभ
पान को अक्सर भोजन के बाद स्वाद के लिए खाया जाने वाला पदार्थ या सिर्फ एक आदत के रूप में देखा जाता है। ये पत्ते उतने बुरे नहीं हैं, जितनी हम इसकी कल्पना करते हैं। हाँ, कुछ नशीली वस्तुएं डालकर इसे बुरा बना दिया जाता है।
भारत में धार्मिक अनुष्ठानों में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ हम पान के पत्तों के लाभों के बारे में जानते हैं। इन पान के पत्तों का अकेले सेवन करने पर असंख्य स्वास्थ्य लाभ होते हैं। पान के पत्तों में मौजूद तेल में शैविकोल नामक एक फिनोल शामिल होता है, जिसमें प्रभावी रोगाणु नाशक गुण होते हैं। इस पत्ते के कई उपचारात्मक स्वास्थ्य लाभ होते हैं, ये बात कुछ लोग ही जानते हैं। ये पत्ते विटामिन सी, थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और कैरोटीन जैसे विटामिन से भरपूर हैं और कैल्शियम का एक बड़ा स्रोत हैं।
पान के पत्तों के विश्लेषण से पता चलता है कि इसमें 85.4 प्रतिशत नमी होती है।
पान के पत्तों के पोषक मूल्य ( प्रति 100 ग्राम )
प्रोटीन | 3.1 % |
फैट | 0.8 % |
मिनरल्स | 2.3 % |
फाइबर | 2.3 % |
कार्बोहाइड्रेट | 6.1 % |
कैलोरी मान | 44 |
इन पत्तों में क्षारीय गुण होता है, जो पेट और आंतों में पीएच असंतुलन को प्रभावी ढंग से बेअसर करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
पान के पत्ते के लाभ
पाचन क्रिया में सुधार लाता है
अच्छा भोज्य खाने के बाद पान परोसने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। क्या आपने कभी सोचा है कि खाना खाने के बाद पान क्यों चबाते हैं? इसके कार्मिनेटिव, एंटी-फ्लैटुलेंट जैसे गुण आंत की रक्षा करने में मदद करते हैं। पान के पत्ते मेटाबोलिज्म को बढ़ाते हैं और महत्वपूर्ण विटामिन और पोषक तत्वों को एब्सॉर्ब करने के लिए आंतों को स्टिमुलेट करते हैं।
कब्ज की समस्या के लिए
पान के पत्ते एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हैं। जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को साफ करते हैं। यह शरीर में सामान्य PH स्तर को बनाये रखते है और पेट को ठीक रखते है। कब्ज से राहत के लिए पान के पत्ते खाने की सलाह दी जाती है। कब्ज़ से छुटकारा पाने के लिए पान के पत्तों को मसल कर रात भर पानी में भीगा रहने दें। सुबह खाली पेट इस पानी को पिएं।
एंटीसेप्टिक और एंटी-फंगल गुण
पान के पत्तों में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं क्योंकि वे पॉलीफेनोल्स से भरपूर होते हैं। इनका उपयोग गठिया और ऑर्काइटिस के इलाज में भी किया जाता है।
इसके एंटी-फंगल गुण फंगल संक्रमण से तुरंत राहत देते हैं। प्रभावित क्षेत्र में पान के पत्तों का लेप लगाने से फंगल इंफेक्शन खत्म हो जाता है।
जोड़ों के दर्द से राहत
पान का पत्ता एक उत्कृष्ट एनाल्जेसिक है जो दर्द से तुरंत राहत देता है। पान के पत्तों में एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड्स होते है, जो जोड़ों में दर्द को कम कर देते है। ताज़े पान के पत्तों को गर्म करके उन्हें बाँधने से हड्डियों, जोड़ों में दर्द, सूजन और गठिया के लक्षण कम होते हैं।
वजन घटाने में सहायक
जो लोग वजन कम करना चाहते हैं, वे पान के पत्तों का उपयोग कर सकते हैं। यह शरीर की चर्बी को कम करता है और शरीर की मेटाबोलिज्म दर को बढ़ाता है।
सिरदर्द ठीक करता है
तेज सिरदर्द से पीड़ित होने पर पान के पत्ते का उपयोग किया जा सकता है। इन पत्तियों में ठंडक देने वाले गुण होते हैं, जो बाहरी रूप से लगाने पर दर्द से तुरंत राहत देते हैं।
श्वास संबंधी समस्याओं को कम करता है
पान का पत्ता खांसी और सर्दी की समस्याओं के इलाज में मदद करता है। यह छाती, फेफड़ों में कंजेशन और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक है। दो कप पानी में कुछ पान पत्ते , इलायची, लौंग और दालचीनी मिलाएं इसे 1 कप होने तक उबाल लें , इस काढ़े का दिन में दो से तीन बार सेवन करने से सांस लेने की समस्या से बहुत राहत मिलती है।
ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखते है
ऐसा माना जाता है कि पान के पत्तों में मौजूद घटक(components)ब्लड में शर्करा के स्तर को कम कर सकते हैं। पान के पत्ते में एंटीऑक्सिडेंट हैं, जो अनियंत्रित ब्लड शुगर के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद करते हैं।
कैंसर पैदा करने वाले कार्सिनोजेन्स को रोकता है
तंबाकू और सुपारी मुंह के कैंसर का खतरा बढ़ाते है। अकेले पान के पत्ते फेनोलिक कंपाउंड्स से भरपूर होते हैं जिनमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-म्यूटाजेनिक और एंटी-प्रोलिफेरेटिव गुण होते हैं। पान के पत्तों में फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं, जिनमें कैंसर से लड़ने वाले गुण होते हैं। पान के पत्तों को चबाने से मुंह के कैंसर से बचाव होता है क्योंकि यह लार में एस्कॉर्बिक एसिड के स्तर को बनाए रखने में मदद करते है।
कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है
पान के पत्तों में यूजेनॉल होता है, जिसके कारण ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यूजेनॉल लिवर में उत्पन्न होने वाले कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को भी रोकता है और आंत द्वारा एब्सॉर्ब किये जाने वाले लिपिड की मात्रा को कम करने में मदद करता है।
ओरल हेल्थ (Oral Health)बनाए रखते है
पान के पत्तों में कई रोगाणुविरोधी एजेंट होते हैं, जो मुंह के कई बैक्टीरिया का प्रभावी ढंग से मुकाबला करते हैं, जो कैविटी, प्लाक और दांतों की सड़न को बढ़ाते हैं। भोजन के बाद थोड़ी मात्रा में पान के पत्तों के पेस्ट को चबाने से न केवल आंत का स्वास्थ्य बढ़ता है, बल्कि सांसों की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है, साथ ही दांतों के दर्द, मसूड़ों के दर्द, सूजन और मुंह के संक्रमण से भी राहत मिलती है।
घाव भरने में सहायक
पान के पत्तों को घाव पर लगाकर पट्टी बाँधने से घाव ठीक हो जाता है। फोड़े के इलाज के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है।
डिप्रेशन दूर करने में सहायक
प्राकृतिक उपचार के रूप में सेंट्रल नर्वस सिस्टम के कार्य को उत्तेजित करने के लिए पान के पत्तों का उपयोग वर्षों से किया जाता रहा है। इन पत्तों की एरोमेटिक फेनोलिक कंपाउंड्स कैटेकोलामाइंस को बनने में मदद करती है, जो मूड को अच्छा रखने में सहायता करते है। इसलिए डिप्रेशन को दूर करने के लिए अकेले पान के पत्ते चबाना मूड को ठीक रखने का आसान तरीका है।
ध्यान रहे तम्बाकू और सुपारी जैसी नशे वाली चीज़ों के साथ पान का सेवन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है, लेकिन जब अकेले इसका सेवन किया जाता है, तो इसके असंख्य स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इन पत्तों में फिनोल की मात्रा अधिक होने के कारण, इस में उच्च एंटीऑक्सीडेंट गुण और अन्य औषधीय गुण होते हैं।