कॉपर सभी जीवों के लिए आवश्यक है। मानव शरीर को भी स्वस्थ्य रहने के लिए इस मिनरल की जरूरत होती है। कॉपर शरीर में नहीं बनता है, इसे प्रत्येक दिन संतुलित आहार के माध्यम से या पीने के पानी से प्राप्त किया जाना चाहिए। शरीर को ठीक से काम करने के लिए बहुत कम मात्रा में इसकी आवश्यकता होती है। इसका बहुत अधिक या पर्याप्त मात्रा में न होना स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
पिछले कुछ सालों से कॉपर चार्ज्ड वॉटर काफी चलन में है। तांबे के बर्तन में पानी को भरकर 7 – 8 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि तांबे के गुण पानी में मिल जाएँ फिर सुबह खाली पेट इस पानी को पिया जाता है। तांबा पानी में मौजूद बेक्टेरिया को ख़त्म करके पानी को शुद्ध करता है। आयुर्वेद के अनुसार यह जल वात, कफ एवं पित्त तीनो दोषों से होने वाली परेशानियों को दूर करता है। तांबे में एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी एवं एंटी-कार्सिनोजेनिक प्रॉपर्टीज होतीं हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है।
प्रतिदिन कितनी मात्रा में कॉपर की जरूरत होती है ?
कॉपर एक आवश्यक ट्रेस मिनरल है, जिसे मानव शरीर द्वारा नहीं बनाया जा सकता है, इसलिए इसे हर दिन आहार स्रोतों से लिया जाना चाहिए। हालांकि इसकी बहुत कम मात्रा की जरूरत हमारे शरीर को होती है। इसकी कमी के लक्षण को रोकने के लिए व्यस्क पुरुषों और महिलाओं के लिए प्रति दिन लगभग 0.9 मिलीग्राम तांबा पर्याप्त होता है।
तांबे की कमी से समस्याएं
तांबे की कमी से एनीमिया, हृदय और सर्कुलेशन की समस्याएं, हड्डियों की असामान्यताएं और नर्वस सिस्टम और इम्यून सिस्टम, फेफड़े, थायरॉयड और गुर्दे के कामकाज में परेशानी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। कॉपर की कमी से बुजुर्ग, जिन्हें पर्याप्त मात्रा में कॉपर नहीं मिलता और स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाएं जिन्हें अपने आहार में इसकी पर्याप्त मात्रा नहीं मिलती, विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।
तांबे के स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ
1. जीवाणुरोधी होता है
कॉपर ई कोलाई जैसे बैक्टीरिया को नष्ट करता है। कॉपर चार्ज्ड वॉटर प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है , संक्रमण को रोकता है , घाव भरने में मदद और टिशूज़ की उपचार प्रक्रिया को तेज़ करता है। तांबा एकमात्र ठोस पदार्थ है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने वाले बैक्टीरिया को ख़त्म कर सकता है।
2. एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
स्वाभाविक रूप से एंटी-इंफ्लेमेटरी होने के कारण, तांबा गठिया या सूजन के कारण जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत प्रदान करता है। यह हड्डियों को मज़बूत करता है।
3. ब्लड सर्कुलेशन
कॉपर शरीर को आयरन (भोजन और आंतों के अन्य स्रोतों से) को एब्सॉर्ब करने में मदद करता है। कॉपर रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है और खून में आयरन के स्तर को बनाए रखकर सर्कुलेशन में सुधार करता है। यह शरीर को स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या और आंतरिक अंगों में पर्याप्त ऑक्सीकरण को बनाए रखने में सहायता करता है।
4. एंटी-एजिंग
कॉपर एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है, जो त्वचा में सुधार लाता है। यह सेल मेम्ब्रेन को मुक्त कणों से बचाता है और त्वचा और जोड़ों को समय से पहले बूढ़ा होने से रोकने , त्वचा की लचक को बढ़ाने, कोलेजन और इलास्टिन का उत्पादन करने में मदद करता है।
5. त्वचा के स्वास्थ्य के लिए
कॉपर मेलेनिन का एक घटक है, जो बालों, त्वचा और आंखों को पिग्मेंट देता है एवं सूरज की किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह नए सेल्स के उत्पादन में भी सहायता करता है, त्वचा की ऊपरी परत को चिकना और साफ़ बनाने के लिए भर देता है।
6. मजबूत हड्डियों के लिए
तांबे में हड्डियों को मजबूत करने वाले गुण होते हैं और इसके कोलेजन बनाने वाले गुण हड्डियों को मज़बूत रखते हैं और कनेक्टिव टिशूज़ को बढ़ाते हैं।
7. पाचन में सुधार
कॉपर एक जरूरी ट्रेस तत्व है, जो पाचन तंत्र और मेटाबोलिज्म के लिए बहुत अच्छा है। यह भोजन को पचाने में सहायता करता है, पानी में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को ख़त्म करता है और पेट में सूजन को कम करता है।
8. वजन घटाने में सहायक
तांबे को आहार में शामिल करने से वजन कम करने में मदद मिलती है। कॉपर पाचन तंत्र को ठीक करने में मदद करता है। फेट को अधिक कुशलता से खत्म करने में मदद करता है।
9. मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाता है
कॉपर मस्तिष्क को शक्ति देता है। कॉपर मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाता है। यह दिमाग को तेज और अधिक कुशलता से काम करने में मदद करता है।
10. कोलेस्ट्रॉल कम करता है
कॉपर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खराब प्रकार) और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करता है, और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (अच्छे प्रकार) को बढ़ाता है।
11. शरीर में तीनों दोषों को संतुलित करने में मदद करता है
तांबे के बर्तन में जमा किया गया पानी सकारात्मक रूप से चार्ज होता है और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट से भरा होता है। यह शरीर में तीनों दोषों ( कफ, वात और पित्त ) को संतुलित करने में मदद करता है,जो बीमारियों का कारण बनते हैं।
कॉपर टॉक्सिटी
कई बार हम वस्तुओं के गुणों के बारे में जानते हैं पर उसके उपयोग करने या उचित मात्रा के बारे में जानकारी ना होने के कारण सेहत को उसका लाभ पहुँचाने के स्थान पर दुष्परिणाम पहुंचा लेते हैं। किसी भी चीज़ का नियमित मात्रा से अधिक सेवन स्वास्थ्य को नुक्सान पहुँचाता है। इसी तरह अगर तांबे की भी नियमित मात्रा से अधिक का सेवन करते हैं, तो वह कई अंगों पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, इसी को कॉपर टॉक्सिटी कहते हैं। इससे बचने के लिए कुछ सावधानियां जरूरी हैं – जैसे की एक दिन में 1 -2 छोटे गिलास कॉपर चार्जड वाटर से ज्यादा सेवन ना करें, पानी को तांबे के बर्तन में 7- 8 घंटे से अधिक ना रखें, दो सप्ताह लगातार कॉपर चार्जड वाटर पीने के बाद ब्रेक लें।
कुछ सावधानियां भी हैं जरूरी
1. तांबे के बर्तन में पानी भरने से पहले उसे रोज़ अच्छी तरह साफ़ करें,पहले से भरे पानी को गिरा दें और नया पानी भरे।
2. तांबे के बर्तन में रखे पानी को किसी अन्य मैटल के बर्तन में डालकर ना पिए तांबे या कांच के गिलास में डालकर पी सकते हैं।
3. तांबे के बर्तन में रखा पानी फ्रिज में ना रखें।